गुरुवार, 25 जून 2015

पुरस्कार

लघुव्यंग्य



ख़ुशबू ज़बरदस्त थी।
चूहा ख़ुद ही पिंजरे में घुस गया।
खटाक्क!


-संजय ग्रोवर
25-06-2015



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