बुधवार, 30 मार्च 2011

दल्ला मेरे पीछे है तो सट्टा मेरे आगे..

बाज़ीचा-ए-क्रिक्रेट है दुनिया मेरे आगे
होता है शबो-रोज़ तमाशा मेरे आगे

गो फ़ाइल को जुंबिश नहीं, बल्ले में तो दम है
हफ्ते से बड़ा हो गया छक्का मेरे आगे

कुछ तंज़ करने वालों से यूं कहती है क्रिकेट
दल्ला मेरे पीछे है तो सट्टा मेरे आगे

सर फोड़े है मुंह भींचके हॉकी मेरे होते
रोए है गला फाड़के फुटबॉल मेरे आगे

(मिर्ज़ा ग़ालिब से क्षमा-याचना सहित)

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

भ्रष्टाचार और भक्त

एक बाबा ने अपने भक्तों से दोटूक कहा,
‘‘ जो जो काली कमाई करते हैं मेरे पास न आया करें,
या तो भ्रष्टाचार छोड़ दो या मुझे छोड़ दो!’’
दूसरे दिन सुबह पांच भक्त आश्रम में दिखाई दिए।
‘चलो पांच तो आए’, बाबा ने ख़ुदको संभाला,
‘‘आपको मेरी क्या बात अच्छी लगी ?’’ बाबा ने पूछा।
‘‘ हम तो बस यही पूछने आए हैं कि क्या आप सीरियस हैं !? कल आएं कि नहीं ?’’

(एक हृदयविदारक मौलिक चुटकुला)

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